Ashok stambh - images and history Ashok Stambh चक्रवर्तिन ashok सम्राट ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद कई जगहों पर ashok stambhs का निर्माण कि...
Ashok stambh - images and history
Ashok Stambh
चक्रवर्तिन ashok सम्राट ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद कई जगहों पर ashok stambhs का निर्माण किया। जिनमें से कुछ प्रसिद्ध stambhs हम इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं, इनमें कुछ तस्वीरें भी हैं,ashok stambhs की जो आपको पसंद आएंगी।
Ashok stambh in Delhi
Ashok stambh भारत के प्रसिद्ध और लोकप्रिय स्थानों में से एक है। इस ashok stambh को महान सम्राट चक्रवर्तिन ashok द्वारा बनाया गया था। यह दिल्ली में स्थित है। यह stambh 13.1 मीटर ऊंचा है। इसे बलुआ पत्थर से बनाया गया है जिसे polish किया गया था। यह pillar बहुत सुंदर और attractive है।
इस stambh को ashok ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व ने बनाया था।
कुछ लोगों का कहना है कि यह stambh पहले मेरठ में था। किंतु सन् 1364 मे firoz shah तुगलक इसे दिल्ली में ले आया था। क्योंकि इसकी खूबसूरती ने उसे मोहित कर लिया था,और इस stambh को दिल्ली लाकर उसने अपने किले पर स्थित कर दिया।
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Ashok stambhs images
Ashok stambh in Sanchi
मध्य प्रदेश में स्थित ashok stambh को बहुत सारे लोग देखने आते हैं। इसे भी ashok द्वारा ही बनाया गया था। यह बहुत beautiful है। यह मध्य प्रदेश के सांची में प्रसिद्ध है। इस stambh के ऊपर चार शेर बैठे हैं। यह stambh, सारनाथ stambh से काफी मिलता-जुलता है।बहुत सदियों पुराना होने के बाद भी यह बहुत beautiful दिखता है। इसकी रचना ग्रीको बौद्ध शैली से प्रेरित होकर बनाई गई है। इस ashok stambh को भी तीसरी शताब्दी में बनाया गया था।
इन stambhs के इलावा चंपारण बिहार और अमरावती में भी ashok stambh स्थित है।
Ashok stambh in saranath
सारनाथ में स्थित stambh ashok का सबसे सुंदर stambhs में से एक है। इसे अशोक ने 250 ईशा पूर्व में बनाया था। इसके शीर्ष पर चार शेर एक दूसरे से पीठ जोड़ कर बैठे हैं। भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अशोक के इन स्तंभों को अपनाया गया है। Ashok stambh के निचले हिस्से में जो चक्कर बना हुआ है ,उसे भारत के तिरंगे में भी शामिल किया गया है। ब्राह्मी लिपि में अशोक के समय में इस stambh पर लेख लेख लिखा गया है। इसके अलावा दो लेख और लिखे गए हैं। जो तीसरा लेखक गुप्त काल और दूसरा लेख शान काल में लिखा गया था।सारनाथ का स्तंभ चुनार के बलुआ पत्थर से बनाया गया है। धरती के नीचे गड़े हुए को छोड़कर ऊपर का आकार गोलाकार है। जो ऊपर जाता जाता पतला होता जाता है। उसके ऊपर कंठ बनाया गया हैं।उस कंठ के ऊपर शीर्ष है। इसके अलावा कांट के नीचे एक कमल भी बनाया गया है।
जो उल्टा है। उसके ऊपर हाथी,घोड़ा, सांड तथा शेर की आकृतियां बनाई गई है।कंठ के ऊपर चार शेर की मूर्तियां हैं। जो पीठ से एक दूसरे से जुड़ी हुई है। इन चारों मूर्तियों के बीच एक छोटा सा दंड है जो 32 तितलियों वाले धर्म चक्र को धारण करता है। यह 32 तितलियां भगवान बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों का प्रतीक माना जाती है। मूर्तिकला और पोलिश के कारण यह ashok stambh अपने आप में बहुत सुंदर और प्रसिद्ध है।
Ashok stambh के शेरों का महत्व
बौद्ध धर्म में शेर को भगवान बुद्ध का पर्याय माना जाता है। शकायसिंह और नरसिंह दूध के पर्यायवाची शब्द। हमें यह गाथाओं में से मिलता है। जिन्हे पालि गाथाओं कहां जाता है। बुध की सिंहगर्जना धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त को कहा जाता है। जो बुद्ध द्वारा उपदेशित है।यह चारों शेर बुद्ध भक्तों का चारों दिशाओं में कल्याण हेतु जाने का संकेत देते हैं। जो सारनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। यही कारण है कि चंद्रगुप्त मौर्य के पौत चक्रवर्तिन अशोक सम्राट ने चारों दिशाओं में इन शेरों को अशोक स्तंभ पर बनाया था। इसी कारण इसे वर्तमान समय में अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है।
Ashok stambh in वैशाली
एक ashok का stambh बिहार के वैशाली में स्थित है। कुछ लोग मानते हैं कि यह स्तंभ कलिंग की जीत के बाद अशोक सम्राट ने बनाया था,उस समय वह बौद्ध धर्म का अनुयाई बन गया था। इसका कारण था कि भगवान बुद्ध ने विशाली में ही अपना अंतिम उपदेश दिया था।
यह ashok stambh दूसरे स्तंभों में से काफी अलग है। इसके शीश पर एक शेर की मूर्ति बनी है उसका मुख उत्तर दिशा की ओर है। कहते हैं भगवान ने उत्तर दिशा में अंतिम यात्रा की थी इसी याद में इसका मुख उत्तर दिशा की ओर रखा गया। अशोक स्तंभ के पास एक तालाब है जिसे रामा कुंड के नाम से जाना जाता है। जय बौद्ध धर्म के भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध और पवित्र स्थान है।
इस अशोक स्तंभ को 1996 में खुदाई के समय बाहर निकाला गया था। इसी स्थान पर महावीर जैन का जन्म हुआ था जिसके कारण इस नगरी को महावीर जननी भी कहा जाता है। इसके समीप एक बौद्ध मठ भी है। कहते हैं भगवान बुद्ध को यह स्थान बहुत प्रिय था। इसी कान वह लोग इस स्थान को अपने धार्मिक स्थानों मैं से एक मानते हैं।
Ashok stambh in इलाहाबाद
इलाहाबाद का अशोक stambh सभी स्तंभों में से बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माना जाता है। इस 16वी शताब्दी में अकबर द्वारा ही बनाया गया है। यह स्तंभ इलाहाबाद के किले में स्थित है। Ashok stambh के बाहरी हिस्से में शिलालेख लिखे हैं, जो ब्रह्मी लिपि में लिखे हुए हैं। 200 ईसा पूर्व में समुद्रगुप्त इसे कौशांबी से पयाग लाया था। दरबारी कवि हरिषेन द्वारा प्रयाग प्रशासित ashok stambh पर खुदवाए गए थे। इस stambh पर जहांगीर के तख्त पर बैठने की घटना भी उल्लेख की गई है। बहुत से लोगों का कहना है कि 18 सदी में इसे मुगलों द्वारा गिरा दिया गया था लेकिन अंग्रेजों इस ashok stambh को फिर से खड़ा कर दिया।
चक्रवर्तिन अशोक सम्राट मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। अशोक सम्राट भारतीय उपमहादीप गए सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। उन्होंने 232 से 273 ई. पूर्व तक शासन किया था।
उनके पिता का नाम बिंदुसार और माता का नाम रानी धर्मा था। उनका जन्म 13 अप्रैल, 304 ईसा पूर्व को पाटलिपुत्र, पटना में हुआ था। उनके उत्तर आवती दशरथ मौर्य थे। पूर्ववती बिंदुसार थे। अशोक सम्राट की जीवन संगी देवी करूवाकी,पझापती तिष्यरक्षिता था।
अशोक सम्राट की संतान महेंद्र, संघमित्रा, तीवल, कुणाल चारूमती था।
Ashok smrat के वक्त मौर्य साम्राज्य
उत्तर में हिंदू कुश की श्रेणियां से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण और मैसूर तक था।
पूर्व के बांग्लादेश और पश्चिम के अफगानिस्तान, ईरान तक स्थापित हो चुका था। अशोक के साम्राज्य में आज का संपूर्ण भारत, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और नेपाल थे। उस समय से लेकर आज तक यह साम्राज सबसे बड़ा साम्राज रहा है। सबसे प्रसिद्ध और महानायक अशोक सम्राट,महान सम्राटों में से सबसे ऊपर रहे हैं।
बौद्ध धर्म अपनाना
एक विशाल युद्ध के बाद अशोक सम्राट ने बहुत कत्लेआम देखा और इसे देखकर उसका मन पिगल गया और बौद्ध धर्म का अनुयाई बन गया। बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए मैं भारत ही नहीं और अन्य देशों पर भी बौद्ध धर्म का प्रचार करने गया। उसने अपने पुत्र महेंद्र और संघमित्रा को श्रीलंका बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए भेजा। उसने 84000 स्तूपो का निर्माण सिर्फ 3 साल में ही करवा दिया।उसने भारत के कई स्थानों पर ashok stambh भी बनवाए। जिसने दिल्ली का ashok स्तंभ, सांची का अशोक स्तंभ प्रसिद्ध है।
अशोक अपनी मूर्तिकला में काफी प्रसिद्ध थे जिसके कारण उन्होंने इतने सुंदर स्तंभों का निर्माण किया।
असल में सारनाथ का स्तंभ धर्म चक्र प्रवर्तन घटना का कारण था। धर्म संघ को बनाए रखने के लिए इसकी स्थापना की गई थी।
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